ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग
बकावां गांव मध्यप्रदेश के खरगोन जिले से करीब 60 किमी दूर नर्मदा के तट पर बसा है| जिसे शिव की नगरी भी कहा जाता है | यहा की आबादी के 70% परिवार शिवलिंग निर्माण का कार्य करते है| पूरी दुनिया में केवल बकावां गांव ही एक ऐसा गांव है | जहा हर घर शिवलिंग निर्माण का कार्य किया जाता है | यहा के शिवलिंग विदेशो तक प्रख्यात है | बकावां के अलावा आपको कही भी शिवलिंग का निर्माण होते हुए नही मिलेगा क्युकी बकावां गांव पर भगवान भोलानाथ और माँ नर्मदा का विशेष आशीर्वाद है|
दूसरी जगहों पर शिवलिंग को तरासने पर वह टूट जाते है | परन्तु बकावां में बिना किसी बाधा के शिवलिंग निर्मित होते है | जो माँ नर्मदा के तल से निकले पत्थरों को तरासकर शिवलिंग का रूप दिया जाता है | नर्मदा से निकले पत्थरों को तरासने पर इनमे अलग -अलग प्रकार की आकृतिया निकलती है | जो भोलानाथ के चमत्कार को दर्शाती है|किसी पत्थर में om की आकृति तो किसी में तिलक की आकृति ऐसे अनेक प्रकार की आकृतिया उभरती है |
बकावां में सभी कलर और साइज़ के नर्मदेश्वर शिवलिंग शिव परिवार एवं नंदी मिलते है| नर्मदेश्वर शिवलिंग भोलानाथ का साक्षात् स्वरूप है | जो कोई भी व्यक्ति नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना अपने घर या कार्यालय में करता है भोलेनाथ. उसकी सभी मनोकामनाए पूरी करते है | तथ कार्य में सफलता मिलती है |
ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग के लाभ
- ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग की जो भी उपासक अपने घर या ऑफिस में स्थापना करता है | उसके जीवन में धन-धान्य और सुख सम्रद्धि की कभी कमी नही होती है
- जो भी उपासक नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा पुरे भाव से करता है भगवान भोले नाथ उसकी सभी मनोकामनाए पूरी करते है |
- ओरिजनल नर्मदेश्वर शिवलिंग साक्षात् भगवान भोलेनाथ का स्वरूप है | जिनकी घर में स्थापना करने से ही बुरी शक्तिया घर में प्रवेश नही करती है
- ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग का अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है
- ऑफिस में नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना करने से कार्यो में सफलता मिलती है और बिगड़े कार्य बनते है
- इस शिवलिंग की आराधना से परिवार में शांति का वातावरण रहता है और पति पत्नी के बिच मधुर सम्बन्ध रहते है|
नर्मदा शिवलिंग –
नर्मदा शिवलिंग – माँ नर्मदा के तल से जो कंकर पत्थर निकलते है| उसे हम नर्मदा शिवलिंग कहते है | यह पत्थर देखने में चिकने तथा कठोर प्रतीत होते है| माँ नर्मदा के जल और पत्थरों के बिच घर्षण के कारण नर्मदा के पत्थर अंडाकार और चिकने स्वयं ही हो जाते है | परन्तु माँ नर्मदा में बांधो का निर्माण होने से पानी का बहाव धीमी गति का हो गया है |
जिससे पत्थरो और पानी के बिच कम घर्षण होता है | इस कारण नर्मदा शिवलिंग को शिवलिंग का रूप देना पड़ता है|गांव के लोग नर्मदा से पत्थरों को निकालते है| और उन्हें मशीनों द्वारा तरास कर शिवलिंग का रूप दिया जाता है |जिससे वह सुन्दर और चमकदार लगते है और उन्हें हम जलहरी पर भी आसानी से स्थापित कर सकते है |